चैत्र नवरात्रि 2024 हवन सामग्री (havan samagri) सूची: इन सामग्रियों के बिना अधूरी है मां दुर्गा की पूजा, आप भी करें शामिल
चैत्र नवरात्रि के आगमन की खुशियां चारों ओर हैं। 9 दिनों तक मां दुर्गा की पूजा का पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इन दिनों में देवी के विभिन्न स्वरूपों की पूजा की जाती है और हवन किया जाता है।
हवन नवरात्रि पूजा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है। कहा जाता है कि हवन से देवी प्रसन्न होती हैं और भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करती हैं।
लेकिन क्या आपको पता है कि हवन में कुछ खास सामग्री का होना भी जरूरी होता है। इन सामग्रियों के बिना हवन अधूरा माना जाता है।
तो आइए जानते हैं चैत्र नवरात्रि 2024 के लिए हवन सामग्री (havan samagri) की सूची:
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हवन सामग्री (havan samagri) :
हवन कुंड: हवन करने के लिए सबसे पहले एक हवन कुंड की आवश्यकता होती है। आप इसे घर में ही बना सकते हैं या बाजार से खरीद सकते हैं।
समिधा (हवन की लकड़ी): हवन में आम की लकड़ी का उपयोग सबसे अच्छा माना जाता है। इसके अलावा आप अप्पू, देवदार, कपूर, नीम, बरगद, पीपल, और पलाश की लकड़ी का भी उपयोग कर सकते हैं।
देसी घी (desi cow ghee): हवन में देसी घी का उपयोग किया जाता है।
कपूर: हवन की शुरुआत और अंत में कपूर जलाया जाता है।
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अगरबत्ती (agarbatti): हवन के दौरान अगरबत्ती जलाने से वातावरण सुगंधित होता है।
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सूखा नारियल: हवन में एक सूखा नारियल जरूर रखें।
लाल कलावा: नारियल को लाल कलावा से बांधना होता है।
रोली: देवी की मूर्ति या तस्वीर पर रोली लगाई जाती है।
चंदन: चंदन का टीका लगाकर देवी की पूजा की जाती है।
गोमूत्र: गोमूत्र को हवन सामग्री में मिलाया जाता है।
अक्षत (चावल): हवन में चावल की आहुति दी जाती है।
पान के पत्ते: पान के पत्तों पर सुपारी और लौंग रखकर हवन में अर्पित किया जाता है।
मिठाई: हवन में प्रसाद के रूप में मिठाई चढ़ाई जाती है।
5 तरह के फल: मौसमी फल हवन में अर्पित किए जाते हैं।
गोमूत्र (gomutra)
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सुपारी: हवन में सुपारी की आहुति दी जाती है।
गंगाजल: गंगाजल से हवन सामग्री और देवी की मूर्ति को छिड़का जाता है।
चरणामृत: चरणामृत से देवी की मूर्ति को स्नान कराया जाता है।
गुग्गल: गुग्गल की धूप हवन में जलाई जाती है।
लोबान: लोबान की धूप हवन में जलाई जाती है।
शहद (honey): शहद को हवन सामग्री में मिलाया जाता है।
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लाल कपड़ा: हवन कुंड के चारों ओर लाल कपड़ा बिछाया जाता है।
फूलों की माला: देवी को फूलों की माला अर्पित की जाती है।
हवन विधि:
सबसे पहले स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें।
पूजा स्थान को साफ-सुथरा कर लें।
हवन कुंड में लकड़ियों को सजाकर उनमें घी और कपूर डालकर जलाएं।
एक पवित्र मंत्र का उच्चारण करते हुए हवन सामग्री को एक-एक करके आहुति दें।
हवन के अंत में आरती करें और प्रार्थना करें।
हवन का महत्व: वैज्ञानिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण
हवन, जिसे यज्ञ भी कहा जाता है, हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है। सदियों से, हवन (havan) देवी-देवताओं को प्रसन्न करने, शुभकामनाएं प्राप्त करने और नकारात्मकता दूर करने के लिए किया जाता रहा है।
हवन का महत्व केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी देखा जा सकता है। हवन से वातावरण शुद्ध होता है और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण:
वायु शुद्धिकरण: हवन में जलायी जाने वाली लकड़ी, घी और अन्य सामग्री से निकलने वाला धुंआ हवा में मौजूद हानिकारक जीवाणुओं और वायरस को नष्ट करने में मदद करता है।
रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि: हवन से निकलने वाली धूप में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद करते हैं।
मानसिक शांति: हवन के दौरान मंत्रों का उच्चारण और शांत वातावरण मन को शांत और एकाग्र करने में मदद करता है।
तनाव कम करना: हवन से निकलने वाली सुगंध तनाव कम करने और मन को प्रसन्न करने में मदद करती है।
आध्यात्मिक दृष्टिकोण:
देवी-देवताओं को प्रसन्न करना: हवन को देवी-देवताओं को प्रसन्न करने और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने का एक माध्यम माना जाता है।
शुभकामनाएं प्राप्त करना: हवन के माध्यम से मनोकामनाएं पूरी करने और शुभकामनाएं प्राप्त करने की प्रार्थना की जाती है।
नकारात्मकता दूर करना: हवन नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने और सकारात्मकता का वातावरण बनाने में मदद करता है।
आत्मशुद्धि: हवन को आत्मशुद्धि का एक साधन भी माना जाता है।